लोगो के “क” अक्षर में आदिवासी तत्वों को समाहित किया गया है। सबसे ऊपर हमें प्राकृतिक खूबसूरती और घुमावदार सड़क दिखता है जो केशकाल घाटी का प्रतिबिम्ब है । आदिवासी संस्कृति में प्रसिद्ध मंदारी के साथ माड़िया और चिटकुली के साथ माडिन के रूप में लोगो के केंद्रीय स्तंभ में है।
बाएँ वक्र पर हवा ,आवास, कृषि और दाईं ओर शिकार को दर्शाता है। शीर्ष दाईं ओर तीन आगे के आकार के तीरों के साथ घिरे आदिवासी डिजाइन के प्रतीक, आने वाले वर्षों में कोंडागांव की प्रगति को इंगित करते हैं। यही बात नीचे लिखे कोंडानार शब्द में है जोकि आदिवासी नृत्य के साथ प्रदर्शित हो रही है, रास्तेभर में नारियल के झाड़, नारियल के उच्च स्तरीय वृक्षारोपण और देशभर में सर्वोच्च गुणवत्ता के उत्पादन का प्रतिनिधित्व करता है।
आदिवासी संस्कृति के महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र तोड़ी के सुर व संगीत के प्रतीक के रूप में “को” का रूप बन रहा है जोकि यहां कि आदिवासी जीवनशैली से जुड़ता है। पूरे अक्षर को बेलमेटल से बनाया गया है, जिसकी उत्पत्ति पूरे विश्व में सर्वप्रथम कोंडागांव से हुई है।